पोवारी चिंतन

               पोवारी चिंतन

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आम्हरो रक्त की उबाल असी से की वोको कारण वीरता को संग संग उग्र स्वभाव, अति महत्वाकांक्षा, अहम, शीघ्र क्रोध आदि गुण जुड़के कब सामने आय जाहैत् पता नही चल। मुन खुद परा आमला नियंत्रण राखनो पड़े। कोनतो बी महान कार्य लम्बो समया चले वोकोलाइक वीरता को संग बहुत सोची समझी रणनीति, शांत चित्त, अच्छो सोच बिचार, निस्वार्थता, लक्ष्य केंद्रित अविरत कार्य करन की जबरदस्त क्षमता विकसित करनो पड़े। कोनतो बी कार्य पूर्ण करनो से त् वोको मा निरंतरता योजनाबध्द ठोस कार्य आवश्यक रव्हसे या बात आमला ध्यान मा राखनो पड़े। स्वार्थ की इच्छा लेयकर जो कार्य करे वु ज्यादा समय सही समाज कार्य मा नही टिक सके। राष्ट्रहित, समाज हित को लक्ष्य अंतरात्मालका उठे अना वोको मा आपलो स्वार्थ रहे त् कार्य अविरत चले। आपली पहचान, संस्कृति को प्रति प्रेम हृदय को गहराई मा रहे त् कार्य अविरत होये। समाज को गर्व अना वोको अस्तित्वलाइक लड़न की जिद त् आम्हरो रक्त मा से या पक्की बात से। काइ नही करबिन त् काइ बात नही पर अगर समाज की पहचान बिगड़े असो काइ कार्य होए त् मंग गलत से, काइ त् गड़बड़ से। आमला चिंतन करनो पड़े अगर संगठित उत्थान करनो से त्…….

महेन पटले



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