वैनगंगा क्षेत्र में बसे पंवार(पोवार) समाज के कुल(कुर)

 वैनगंगा क्षेत्र में बसे पंवार(पोवार) समाज के कुल(कुर) 

आर वी रसेल ने अपनी किताब The Tribes and Castes of the Central Provinces of India(1916)  में नागपुर पंवार (वैनगंगा क्षेत्र के पोवार) को पंवार राजपूत की एक शाखा माना है। उन्होंने वैनगंगा क्षेत्र में बसने वालों पंवारों के इतिहास,  संस्कृति, कुल, भाषा इत्यादि पर अपनी इस किताब में विस्तृत विवरण लिखा है। मालवा राजपुताना से अठाहरवीं सदी के आरम्भ में आये छत्तीस क्षत्रियों में से बालाघाट, भंडारा, सिवनी और गोंदिया जिलों में तीस कुल ही स्थायी रूप बसें और बाकी के छह कुल संभवतया युध्द के बाद वापस चले गए हों। पोवारों में उनके कुलों का बहुत महत्व होता है और इनके विवाह पोवारों के अपने कुलों अम्बुले, कटरे, कोल्हे, गौतम, चौहान, चौधरी, जैतवार, ठाकुर/ठाकरे, टेम्भरे, तुरकर/तुरुक, पटले, परिहार, पारधी, पुण्ड/पुंडे, बघेले/बघेल, बिसेन, बोपचे, भगत, भैरम, एडे, भोयर, राणा, राहांगडाले, रिणायत, शरणागत, सहारे, सोनवाने, हनवत/हनवते, हरिनखेड़े और क्षीरसागर में ही होते हैं।

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