पोवार

 🌷🌷🌷 पोवार🌷🌷🌷


या धरती से अलबेली जहां वैनगंगा की धार

हवा मा गुंजायमान सेती यहा शौर्य का गान।

अग्निवंशीयको शौर्य की गाथा गावसे हर पात

माता गढ़कालिकाको से आशिर्वादको  हात।।


आबूपर यज्ञ करीन मुनिन् प्रगट्या क्षत्रीय पोवार

अग्निकुंड लक प्रगट भया नाव उनको परमार।

शस्त्रधारी क्षत्रिय प्रतापी चमकसे हातमा तलवार

वध करसे दृष्टो को जनजीवन को बनेव आधार।।


उज्जैनी महान विक्रमादित्य भृतहरी लक विख्यात

दसवीं सदीमा बसाइस बैरीसिहन् सुंदर नगरी धार।

मालवामा मूंज भोज न करिन साम्राज्य  विस्तार

भोजशाला बनाइस करिस ज्ञान को प्रचार प्रसार।।


विदर्भपर राज करीन मालवाधिस पोवार सरदार

आया धारलक जगदेव पोवार चालुक्यको दरबार।

विरयोद्धा जगदेव पोवार बन्या चांदा का महाराज

शासनमा उनकी जनता होती बड़ी सुखी खुशाल।।


मालवा पर आक्रमण करीन मुगल न जनता बेहाल

संकट आयेव भारी बिखऱ् गया मालवा का पोवार।

वैनगंगा किनारा पर आया सोड देईन नगरी धार

बंजर भुमी मा खेती करस्यार बन गया  किसान।।


✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

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