पोवारी उत्थान
पोवारी उत्थान
पोवारी उत्थान का आगाज हो..
अपने हो खास हो दिल के पास हो..
फर्क नहीं पड़ता अब, अगर इस फरेब के साथ हो..
जान गए सत्य फिर क्यों किसी की आस हो..
अब जाग गए तो सिर्फ पोवारी की आगाज हो..
नतमस्त हूँ अपनी उदंडता पर, पोवारी विजय का हर पल आभास हो..
नहीं लगता डर इस असत्य के पुलिंन्दोसे, सत्य का प्रकाश हो..
बढ़ चलो, डटे रहो, पथ पर टिके रहो, कभी भी निराश ना हो..
निकली पुकार पोवारी की, खुले मंच पर समाज द्रोहियों सें शास्त्रार्थ हो..
हृदय की गहरी पीड़ा,
पोवारी उत्थान का आगाज हो..
पोवारी उत्थान का आगाज हो..
पोवारी उत्थान का आगाज हो..
✒️ऋषिकेश गौतम /13-02-2022
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