समाजोत्थान की पहली शर्त "स्वाभिमान"

समाजोत्थान की पहली शर्त "स्वाभिमान"
(कविता की पार्श्वभूमी:-काही तथाकथित पुढारी पोवार समाज की पहचान मिटायके येन् समाज ला एक स्वाभिमानशून्य समाज बनावन की साज़िश मा सेती.)

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समाजोत्थान की पहली शर्त से
निज पहचान पर हो स्वाभिमान
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समाजोत्थान की दूजी शर्त से
निज समाज मा हो आत्मविश्वास
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पहचान मिटावनेवाला
          मिटाय रहया सेती स्वाभिमान 
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स्वाभिमान जगावनसाती
         होय जाव आता सब सावधान
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प्रथम दायित्व से आमरो
स्वाभिमानी समाज को निर्माण
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हर बालक मा जगावनो से
निज पहचान पर स्वाभिमान
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जेन् दिवस जागे समाज मा
       पोवार शब्द पर स्वाभिमान
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वोन् दिवस आमरो समाज को
       उत्कर्ष की होये खरी शुरुआत
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पहचान मिटावनो सोड़ो
पहचान पर करों स्वाभिमान
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स्वाभिमान को बलपर आम्हीं
करबी बलशाली समाज निर्माण
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पहचान मिटावनेवाला पुढारी
         कर रहया सेती विध्वंसकारी काम
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आओ सब मिलके करबी
         बलशाली समाज को नवनिर्माण
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🕉इतिहासकार प्राचार्य ओ.सी.पटले
प्रणेता:- पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष. गुरु.17/02/2022.



 


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