Powari Kavita

 पोवारी कविता


तपन तपन की जिंदगी, नहीं कोई छाव,

आखुड़ पूंजी मा कसो, मि लगाऊ दाव.


पसी पसी होयस्यार, बोयो मिन् हांसी,

पर गोना मा आई, मोठो दुख की राशि.

आता आनू कसो, हाट ल् कोई सुख,

बहुत ऊंचा सेती, एन् सुख का भाव.

आखुड पूंजी मा कसो, मि लगाऊ दाव.


मि गांव को सीधो अदमी, जपुसु माटी ला,

आसपास जिबली नहात, मोरी घाटी ला.

नहीं त् मि भी एक न एक दिन बिकतो, ,

येन् चतरी दुनिया ला बिना पेंदी की नाव.

आखुड पूंजी मा कसो, मि लगाऊ दाव,


नोन-तेल, मोटर-मोबाइल, फीस, ड्रेस-साड़ी,

येन प्रपंच ला पूरो करता, ठंडी भयिन् नाड़ी.

करजा को तीर, असो कोदगरसे भीतर,

जनम जनम नहीं भर्, येन् तीर को घाव.

आखुड पूंजी मा कसो, मि लगाऊ दाव.


तपन तपन की जिंदगी, नहीं कोई छाव,

आखुड़ पूंजी मा कसो, मि लगाऊ दाव,


तुमेश पटले "सारथी"

केशलेवाड़ा (हट्टा)

बालाघाट (म. प्र.)



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