चलो पोवारी साहित्य को मेला

 पोवारो को पोवारी को साहित्य संगम को लग रही से मेला,

छोडो सब काही झमेला 

चलो चलो जाबी सब झन भाऊ बहिनी 

चलो पोवारी साहित्य  को मेला


पोवारी साहित्य की फुले फुल फुलवारी लगी से देखो सुन्दर सुगम संगीत को साहित्य मेला,

चलो पोवारी साहित्य मेला,


, सुन्दर गुंजेत गीत ,कविता दिसे माय  सरस्वती को रूप  सबमा

चलो पोवारी साहित्य मेला,


घुल मिल बसनो से काही आपरी काही सबकी सुननो से यो जीवन से संगीत को मेला,


काही नही रहे संग बस मिठो बोल गीत संगीत को से यो खेला

बडो अनमोल से यो 

चलं पोवारी साहित्य को मेला,


कोनी को सुर लगे कोनी को सुर मीठो घुले मन गीत संगीत मा झुमे 

कोनी कहे कवीता कोनी गीत ,

रम जाहे रोम रोम साहित्य संगीत मा,

चलो  पोवारी साहित्य को मेला,


ऐकलो ले चल नही समाज को रथ ला सजायके  धरके चलनो से अम्हाला सबला ,

अमीर गरीब नहानो मोठो को भेद छोड कर आगे बढावनो से पोवारी को साहित्य  यो मेला

चलो पोवारी साहित्य को मेला।।

जय राजा भोज जी🙏

विद्या बिसेन

बालाघाट🚩🙏🚩



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