पोवारी
पोवारी
हर लक्ष्य की एकच बाट से पोवारी,
हामी पोवार, हामरो थाट से पोवारी.
अंधफंदावो जब पहचान को डोहो मा,
तब उतरन लाई एकच घाट से पोवारी.
नोको भटको जी मखमल की चाह मा,
पाड़ो, बिछाओ, खल्ली खाट से पोवारी.
बहेकेत कदम, जब जग की दौड़ मा, तब,
माय की दुलार, अजी की डाट से पोवारी.
माती खपरेल को हामरो घर की शोभा,
तसीच सुंदर चिकनी नाट से पोवारी.
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाडा
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