महाराज जगदेव पँवार
महाराज जगदेव पँवार
प्रमार(पँवार) वंश के महाप्रतापी, शौर्यवान और दानवीर योद्धा महाराज जगदेव पँवार ने देश के बड़े भूभाग पर शासन किया था। वे माँ गढ़काली के परम भक्त थे और कहते है की उन्होंने माता के सामने सात बार शीश अर्पण किया और माता ने हर बार इस दानवीर राजा को बचा लिया और आठवीं बार में माता ने राजा जगदेव को अपने चरणों में जगह दी । धार में गढ़कालिका माँ मदिर के पास ही महाराज जगदेव पंवार की समाधी है ।
अदिलाबाद से प्राप्त अभिलेखानुसार-
“यशोदयादित्य नृप: पितासिदैव पितृव्यस्त च भोजराजः विरेजंतुयों वसुंधिपत्य प्राप्तप्रतिष्ठाविद पुष्पदंतो” अर्थात- जिसका (जगदेव) पिता नरेश उदयादित्य था और नरेश भोजराज पितातुल्य था; जिन्होने वसुंधरा स्वामी (प्रमार वंश को) बन प्रतिष्ठा दिलाई ।
जय माँ गढ़कालिका
जय महाराज जगदेव पँवार
जय क्षत्रिय पँवार पोवार राजवंश
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