भगवान श्रीराम, अयोध्या और पँवार पोवार वंश के सम्बन्ध

 

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राजा मान्धाता, श्रीराम के पूर्वज थे और उनका वंश प्रमारा(परमार) वंश भी उल्लेखित मिला हैं. इतिहासकार जेम्स टाड राजा मान्धाता को पँवार राजा मानते थे.

ऐतहासिक दस्तावेजो व लोकोक्तियों के अनुसार *रोहतक शहर पँवार राजा रोहिताश्च द्वारा बसाया गया । राजा रोहिताश्च राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र थे । राजा हरिश्चंद्र श्रीराम के पूर्वज थे ।

राजा हरिश्चंद्र, भी श्रीराम के पूर्वज थे और खुद को पँवार वंश का मानते थे। राजस्थान में एक पुराना नाट्य मंचन होता था उसका अंग्रेजी रूपांतरण किया गया है । उसमें राजा हरिश्चंद्र कहते है कि मैं सूर्यवंशी तो हु पर उसके पहले पँवार हु ।

सम्राट विक्रमादित्य पँवार प्रमार वंश से और वे भगवान राम को अपना पूर्वज मानते थे और उन्होंने अयोध्या नगरी का पुनर्निर्माण भी करवाया था.

हाल ही के दिनों में इसके अवशेष भी प्राप्त हुए हैं जो सम्राट विक्रमादित्य के समकालीन हैं. सोशल मीडिया में इसके समर्थन में मुहीम भी चलाई हैं. कुछ हमारे वंश भाई यह मांग कर रहे हैं की अयोध्या में सम्राट विक्रमसेन विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की जाय. इसका हम सभी को समर्थन करना चाहिए.

पुराने इतिहास व तथ्यों के गहन अध्ययन करने पर पता चलता है कि पोवार यानी पुराने प्रवारेय क्षत्रिय है *। जिसे अपभ्रंषित रूप में पोवार कहा जाने लगा । श्रीराम भी प्रवारेय क्षत्रिय थे ।

महाराज भोजदेव, उज्जैन नरेश सम्राट विक्रमादित्य को न केवल अपना आराध्य मानते थे अपितु अपना पूर्वज भी मानते थे और हम सभी भी उनके वंश से जुड़े हैं इसीलिए पँवार/पोवार/परमारवंश के सम्बन्ध अयोध्या से जुड़े हैं.

पौराणिक ग्रंथों में भगवान श्रीराम के गुरु, वशिष्ठ ने पृथ्वी की रक्षा के लिए अग्निकुंड से परमार(पँवार) वंश की उत्पत्ति की और उन्हें ज्ञान प्रदान किया. इस तरह भगवान श्रीराम और राजा प्रमार गुरु भाई हुए

हमें गर्व हैं की हम भगवान श्रीराम के वंश से जुड़े हैं और क्षत्रिय पँवार वंश से हैं.

जय श्रीराम 🙏🏼🙏🏼
जय क्षत्रिय पँवार(पोवार) वंश 🚩🚩

द्वारा : पोवार इतिहास, साहित्य अना उत्कर्ष समूह

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