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पोवारी साहित्य सरिता भाग ७१

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पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित पोवारी साहित्य सरिता भाग ७१ 🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹        आयोजक डॉ. हरगोविंद टेंभरे         मार्गदर्शक श्री. व्ही. बी.देशमुख 🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🚩                      १. गीत विजय का गावत चल                                        -----------------🚩🚩---------------                  हे राही, गीत विजय का गावत चल l छत्तीस कुल की ध्वजा फहरावत चल l संस्कृति की खुशबू नित्य लुटावत चल l मातृभाषा को दर्जा नित्य बढ़ावत चल  l छत्तीस कुल की ध्वजा फहरावत चल l गीत विजय का  नित्य‌  नवा गावत चल  ll जाति नाम आपलो सही सांगत  चल l मूल पहचान आपली बचावत चल l छत्तीस कुल की ध्वजा फहरावत चल l गीत विजय के नित्य नवा गावत चल ll  राह की बाधा  दूर हटावत चलो  l रस्ता नवो खुद को बनावत  चल  l छत्तीस कुल की ध्वजा फहरावत चल l गीत विजय के नित्य  नवा गावत चल  ll -इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले शुक्र.४/११/२०२२. -------------------💐💐---------------                            २. पोवारी बोली को सफरनामा                              ------------------🚩🚩------------------ अतीत

संस्कृति का रक्षण

 संस्कृति का रक्षण🚩🚩🙏 (सामाजिक लेख: पोवारी भाषा मा)              धरती मा असंख्य जीव-जंतु सेती जिनमा मानव जात आपरी बुद्धि अन् कौशल को कारन् सब लक़ अनूठी जात आय। आपरो याद राख़न अना वोला पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजकन राखन को गुन् को कारन् ज्ञान अना संस्कृति की निर्मती भई। दुनिया भर मा अलग-अलग प्रकार की परम्परा अना संस्कृति का विकास भयो। समय को साथ कई सभ्यता विकसित भई अना कई संरक्षण को अभाव मा मुराय भी गईन।             संस्कृति अना सभ्यता का विकास कोनी येक दिवस को काम नहाय अना येला विकसित होनमा सदी लग जासे। इतिहास गवाह से कसो कई आक्रनता इनना आपरो निहित सुवारथ अन् जिद्द को कारन मानवता अना विकसित सभ्यता इनला नष्ट करन मा काई कसर नही सोढ़ीन। अज़ भी देश-दुनिया मा असी सोच का सेती परा सभ्य समाज अना नियमबद्ध समाज मा आता यव बिचार मान्य से की सप समान आती अना सबला आपरी सभ्यता, आपरी संस्कृति ला संरक्षित अना ओको प्रचार प्रसार को अधिकार से।              सयुंक्त राष्ट्र संघ अना भारतवर्ष को संविधान, मिटती भाषा अना संस्कृति को जतन लाई सप नागरिक इनला अधिकार भी देसे अना सहयोग बी। राज्य शासन बी कई बिसरती बोली इनको संरक्

स्वस्थ समाज के कर्णधार "सामाजिक संगठन"

 स्वस्थ समाज के कर्णधार "सामाजिक संगठन" संहतिः श्रेयसी पुंसां स्वकुलैरल्पकैरपि । तुषेणापि परित्यक्ता न प्ररोहन्ति तण्डुलाः ॥ सभी सक्रिय समाज संगठन पदाधिकारियों से विनम्र निवेदन है कि सामाजिक संगठनों का राजनीतिक दुरुपयोग से दूरी बनाये रखनी चाहिए । साथ ही अपने निजी स्वार्थ के लिए उपयोग करना उचित नही हैं। समाजिक संगठनों की पहली प्राथमिकता समग्र समाजोत्थान ही रहना चाहिए । समाज की अपनी बोली, संस्कृति, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान के तौर तरीके और ऐतिहासिक पहचान को सरंक्षण प्रदान करना हैं। देश में हर तरह के काम के लिए अनेक विभिन्न उद्देश्य को लेकर तरह-तरह के संगठन बने हुए है । अतः संगठन संवैधानिक नियमावली के अनुसार ही कार्य करें तो निश्चित ही संगठन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। विशेष तौर पर पोवार/पंवार संगठनों के पदाधिकारियों से अपेक्षा है कि वे समाज की संस्कृति, बोली, इतिहास, रीति-रिवाज और सामाजिक    परंपराओं के संरक्षण को प्राथमिकता प्रदान करें। समाज के ऐतिहासिक मूल नामों तथा अपनी विशिष्ट पहचान को यथावत रखे । संगठनों में जगह बनाकर अपने निजी सोच से समाज की पहचान को

पोवारी साहित्य सरिता भाग ७०

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पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित पोवारी साहित्य सरिता भाग ७० 💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩        आयोजक डॉ. हरगोविंद टेंभरे         मार्गदर्शक श्री. व्ही. बी.देशमुख 🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🚩                                        १. चौरी पर दिवो लगावत चलों                          ----------------🔥🔥-----------------                                घर मा चौरी पर दिवो लगावत चलों l                           जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll इतिहास का गुण गुणगुणावत चलों l पहचान पर स्वाभिमान करत चलों l उत्तम ज्ञान लक महक जासे जीवन, जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll मायबोली आपली रोज बोलत चलों l मायबोली  आपली रोज लिखत चलों l दिव्य चिंतन लक महक जासे जीवन, जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll संस्कारों ला नित धारण करत चलों l निज संस्कृति को संवर्धन करत चलों l अच्छी संगत लक महक जासे जीवन, जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले शनि.२९/१०/२०२२. ------------------💥💥---------------- २. रानी बनकर जग रही होती ------------------💚💜----------------- मोरा भी