Posts

पोवार(36 कुरी पंवार) समाज का मध्यभारत/वैनगंगा क्षेत्र में आकर बसने का इतिहास

Image
  पोवार(36 कुरी पंवार) समाज का मध्यभारत/वैनगंगा क्षेत्र में आकर बसने का इतिहास आओ बचाये अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को, और दे सच्ची श्रद्धांजलि अपने पूर्वजों को सन् 1700 क़े आसपास हमारे पुरखों ने नगरधन(रामटेक क़े समीप) और वैनगंगा क्षेत्र में आकर, 36 क्षत्रिय कुलों क़े रूप में संगठित होकर नये युग की शुरुवात की। ********************** राजा भोज धर्मपरायण राजा थे और उनके शासन का आधार सनातनी धर्म था। उनके युद्ध भी धर्मयुद्ध होते थे और उनकी कोई स्थायी सेना न होकर, धर्म के लिए लड़ने वाले योद्धाओं का समूह था। यही वजह थी की उनकी, हर युद्ध में विजय होती थी। लेकिन चौदहवी सदी के शुरुवात में मालवा पर मुस्लिमों के आधिपत्य के बाद उनके वंशजों और सहयोगियों को कठिन वक्त से गुजरना पढ़ा। मालवा पर मुस्लिमों के आधिपत्य के बाद उनके वंशजों और नातेदारों ने सैन्य समूह के रूप में दुश्मनों के विरूद्ध संघर्षों में अनेक राजाओं का सहयोग किया। कूछ अन्य दूसरे क्षेत्रों में जाकर भी बस गये। उनका एक बड़ा सैन्य जत्था अठारवी सदी में देवगढ़ राजा के अनुरोध पर नगरधन(रामटेक के पास) आया था जो बाद में वैनगंगा क्षेत्र में अपने परि

पोवार समुदाय एवं उसका सामाजिक दर्शन

Image
  पोवार समुदाय एवं उसका सामाजिक दर्शन (Powar Community and it's Social Philosophy) १. पोवार समुदाय का परिचय         पोवार समुदाय यह मालवा एवं राजस्थान का निवासी था. १७००के आसपास यह वैनगंगा क्षेत्र में आकर बस गया. ३६ इसमें कुल है.   इस समुदाय में सजातीय विवाह का प्रचलन है. समुदाय के लोग   समुदाय के भीतर ही वैवाहिक संबंध प्रस्थापित करते है. इसकी अपनी एक विशेष संस्कृति है , जिसे सनातन हिन्दू धर्म का अधिष्ठान है. २. मातृभाषा : इतिहास का स्त्रोत         पोवार समुदाय की मातृभाषा "पोवारी" है. इस समुदाय के सामाजिक दर्शन इसके लोकगीत , वाक्प्रचार , कहावत , मुहावरे एवं   मुख्यतया विवाह के गीतों तथा परंपराओं में छिपा हुआ है.         इस समुदाय में विवाह संस्कार के समय वर को श्रीराम एवं वधू को जानकी के स्वरुप में   देखा जाता है. विवाह गीतों मे राम , सीता , लक्ष्मण , राजा जनक आदि. नामों के दर्शन होते है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस समुदाय के प्रमुख आराध्य श्रीराम ही है एवं सनातन हिन्दू जीवन दर्शन ही इस समुदाय का सामाजिक दर्शन ( Social Philosophy)   है. ३.सामाजिक दर्शन की

पोवारी साहित्य सरिता भाग ६८

Image
 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित पोवारी साहित्य सरिता भाग ६८ 💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩        आयोजक डॉ. हरगोविंद टेंभरे         मार्गदर्शक श्री. व्ही. बी.देशमुख 🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️ 🚩 🙏🪔शुभकामना🪔🙏 चूल्हों -चक्की ,ओखरी , डोकरी, पूजी गईन दिवारी मा।  किसान की मेहनत महक रही से, मीठी -खीर सुआरी मा।। नवती-नवती बहू आई सेत, लक्ष्मी जसी दिवारी मा। नाच रही सेत मुन्ना मुन्नी, घर आँगन, फुलवारी मा।। ओरी-ओरी टवरी सुँदर, घर-घर जरिन दिवारी मा। घर का कोना कोना महक रही सेती धूप बाती की दानी मा।। घर का सायना सायनी मस्त सेती पुरानी कहानी मा । चर्चा होय रही से केतरा पकवान रहेती आज बिरानी मा।। रंग बिरंगी आतिशबाजी होय रही से रातरानी मा। बिसर गया पुराना तरीका नवो ज़मानों को शानी मा।। सजाय के आरती राखी जाहे डार को अगवानी मा।। अर्धी रात निकल जासे बसकर यादन की कहानी मा।। मनाओ दिवारी असी बस जाय मन की बानी मा। रामराज्य की शुभकामना, सबला आज पोआरी मा।। यशवन्त कटरे २४/१०/२०२२ 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔 1. 💜 इम्तिहान💜 -------------------------------- या बेला से समाज को इम्तिहान  की  l या आयी से बेल