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राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 01

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पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 01 विषय : गणपति दिनांक- 21.2.2021 (इतवार) 1.  मोरो गणपति देवा 🌺🌸🌺🌸🌺🌸 आशीष  मिली से तोला  होवन को प्रथमपूज्य देवा ! नवी  शुरुवात  मा लेषेत तोरो नाम अय मोरो देवा !! गणेश चतुर्थी ला घर मा  तोरो आगमन  होवसे देवा ! जीवन मा होवसे असो  तरंग न उल्लास मोरो देवा  !!   पार्थना करसु  मि देय   समृद्धि सबला मोरो  देवा !   पुरो धरा ला देय हरियाली  अना खुशहाली मोरो देवा !! ✍🏼ऋषि बिसेन  बालाघाट *********************************  2.  🌷 गणेश जन्म 🌷 घडीस मुर्ती पार्वती न,  फुकीस ओकोमा प्राण । जन्म भयेव गणेशको,  लाड़ कर टुरा जान  ॥ आंग धोवन गयी माय,  सांगशान बाल गणेशला। दरवाजा पर गणेश न,  अडाईस देव शंकरला ॥ समजाईस लहान देखशान,  शंकर न ओला खास। अंदर नही जान साठी,  गणेश कर अट्टहास  ॥ युध्द पिता अना पुत्र मा,  भयेव बहुत जोरदार। काटीस मस्तक गणेशको ,  मारीस त्रिशुल धारदार  ॥ देखशान गणेश मस्तकबिना ,  क्रोधीत भयी पार्वती माता । जिवंत टुराला करो नही त,  धरती को नाश करुन आता ॥ शंकर न नंदी अना गण ला,  सांगीस

पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा

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    पोवारी साहित्य एंव   सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह            द्वारा आयोजित       राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा          काव्यस्पर्धा क्र. 03             ^^^^^^^^^^^^^^^^^ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 विषय : सावंगणी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻  दिवस - इतवार   तारीख  - 14/03/2021 ✍🏻 काव्यस्पर्धा की बेरा - दुपारी 12 बसे पासुन त रात को 12 बजे वरी रहे।  नियम अना माहिती    ------------------------- ✍🏻कविता मा विषय को उल्लेख जरुरी से. ✍🏻कविता पोवारी भाषा माच् मान्य रहेती. (टिप- अन्य भाषी कवि जो पोवारी मा नवीन सेती वय लिखान को रुचि लका हिंदी, मराठी मा लिख सक सेती पर ये कविता स्पर्धा मा सामिल करनो मा नही आवन की) ✍🏻कविता, काव्यस्पर्धा को विषय पर च आधारित रहे पायजे. ✍🏻काव्यस्पर्धा को निकाल सप्ताहांत ला जाहिर करेव जाये. ✍🏻काव्यस्पर्धा की कविता येन समुह को अधिकृत ब्लॉग अना वेबसाइट पर अपलोड करनो मा आयेती. ✍🏻सम्मानपत्र अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार  महासंघ लका प्रदान करेव जायेती.                       आयोजक                       गुलाब बिसेन          पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक                  

पोवारी ज्ञान कौशल युक्त गद्य साहित्य लेखन

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 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा दि.०३.०३ २०२१ बुधवार ला आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता -भाग १ ****************************************************************************** 1.  पँवार(पोवार) कुलदेवी धार वाली माय गढ़कालिका           धार वाली माय गढ़कालिका पोवार(पंवार) राजवंश की कुलदेवी से. कोनी माय ला कंकाली कसेत त कोनी माय ला देवी कालिका कसेत. माय काली, दुर्गा माय को काली अवतार, माय को विकराल रूप से अना पापी को अंत निश्चित से. आमी पंवार क्षत्रिय वंश का आजन. हर क्षत्रिय की कुलदेवी होसेत अना माय को विभिन्न रूप की क्षत्रिय कुलदेवी मान पूजा करोसेत. सम्राट विक्रमादित्य महाराज, माय हरसिद्धि ला आपरी कुलदेवी मानत होतिन. वेय माता गढ़कालिका रूप को भी उपासक होता. प्रमार राजवंश की राजधानी उज्जैन नगरी मा दुही माता का मंदिर सेती. बाद का पँवार राजा उपेंद्र लक राजा मुंज न मालवा को शासन उज्जैन लक चलाया.           कोनी ज्ञानी गुरु न राजा भोज ला सांगिस की उज्जैन को एकच राजा से अना वेय राजा, भगवान महाकाल आती. राजा भोज न गुरु को आदेश लक, भगवान महाकाल लक आशीर्वाद लेया अना आपरी राजधानी धार लेय गईन. 

क्षत्रिय पोवार(पंवार) कुलदेवी माँ गढ़कालिका की आरती

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 क्षत्रिय पोवार(पंवार) कुलदेवी माँ गढ़कालिका की आरती  माँ गढकालीका की आरती मैय्या करू गढ़काली तोरी आरती हो माँ-२ मैय्या आरती माँ बेल फूल चढाऊ वो मोरीमाय-२ हल्दी कुंकू नारीयल धुप दीप कपूरल सजी थार-२ आरती गढ़काली की - हो मैय्या-आरती गढ़काली की । गाव हरेक पोवार-२ मैय्या करू गढ़काली तोरी आरती.... ब्रम्हांड की रखवारी तु धारा जुगर ठिकाण-२ राजा भोजला पायव-२तोला बुध्दी अणा ज्ञाब-२ मैय्या करू गढ़काली.... ये धरती को कोना कोना माँ फैल्या जो पोवार आवी सब तोराच बेटा-२देजो बुध्दी अणा बाब-२ मैय्या करू गढ़काली..... तोरो दरशन का प्यासा बेटा माँ कुरखेत पुकार-२ कर सबकी मनसा पुरी-ओ मैय्या-२ धन्य होये हर पोवार-२ मैय्या करू गढ़काली. कुलदेवी माय तु आम्हरी-कर देजो माँ उद्वार-२ गेवरी गाऊ मैय्या कमसे वो काली-२ तोरी महिमा से अपार-२ मैय्या करू गढ़काली... मैय्या करू गढ़काली तोरी आरती हो माँ जय माँ गढ़काली जय क्षत्रिय पोवार(पँवार) राजवंश

सामाजिक शख्सियत : श्री डी. पी. राहंगडाले

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                             सामाजिक शख्सियत : श्री डी. पी. राहंगडाले क्षत्रिय पोवार पंवार समाज के गौरव श्री धनलाल पोतन राहंगडाले जी  का जन्म गोदिया जिले में तिरोड़ा तहसील के ग्राम बरबसपुरा में १६ दिसंबर १९५२ को हुआ था। आपने कला विषय से स्नातक किया और साथ ही शिक्षा में डिप्लोमा प्राप्त किया है। सन १९८० में आपका चयन कनिष्ठ लिपिक के पद पर हुआ। बाद में आपकी वरिष्ठ लिपिक, मंडलाधिकारी और नायब तहसीलदार के रूप में पदोन्नति हुयी। आप वर्ष १९७७ से १९८० तक ग्राम पंचायत बरबसपुरा के निर्विरोध सदस्य रहे। ३१ दिसंबर २०१० आप सेवानिवृत्त हुए और वर्ष २०१२ से २०१७ तक ग्राम बरबसपुरा के निर्विरोध उपसरपंच चूने गये।    वर्तमान में आप गजानन कॉलोनी, गोंदिया में निवासरत हैं। आपके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। आपको संगीत और साहित्य में हमेशा से रूचि रही हैं। आपने ढंढार झाड़ीपट्टी में भाग लिया है। आपने कई हिंदी नाटक(ड्रामा) लिखे हैं। आपने निरंतर १५ वर्षों तक नाटकों में स्वयं अभिनय किया है। आज भी ग्राम बरबसपुरा में नाट्य मण्डली का सञ्चालन कर रहे हैं और नयी पीढ़ी का मार्दर्शन कर रहे हैं। आपने पोवारी, हिंदी और

"भोज-पत्र"

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        " भोज-पत्र" क्षत्रिय पंवार/पोवार समाज की सर्वोच्च संस्था , " अखिल भारतीय पंवार क्षत्रिय महासभा" के ७५ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में अमृत-जयंती के शुभ अवसर पर एक स्मरण ग्रंथ , " भोज-पत्र" सन १९८६ में प्रकाशित किया गया था। संपादक मंडल के द्वारा जारी इस पत्र के उद्देश्य की मूल प्रति सलंग्न है –       यह पत्र क्षत्रिय पंवार/पोवार वंश का ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें इस वंश के अतीत से लेकर बीसवीं सदी के समाजोत्थान कार्यक्रम और संगठनों का   इतिहास दिया गया है।                                              तथ्य संकलन : ऋषि बिसेन, नागपुर                               द्वारा : पोवारी इतिहास , साहित्य , संस्कृति एवं उत्कर्ष परिषद