पोवारी ज्ञान कौशल युक्त गद्य साहित्य लेखन


 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा दि.०३.०३ २०२१ बुधवार ला आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता -भाग १

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1.  पँवार(पोवार) कुलदेवी धार वाली माय गढ़कालिका


        धार वाली माय गढ़कालिका पोवार(पंवार) राजवंश की कुलदेवी से. कोनी माय ला कंकाली कसेत त कोनी माय ला देवी कालिका कसेत. माय काली, दुर्गा माय को काली अवतार, माय को विकराल रूप से अना पापी को अंत निश्चित से. आमी पंवार क्षत्रिय वंश का आजन. हर क्षत्रिय की कुलदेवी होसेत अना माय को विभिन्न रूप की क्षत्रिय कुलदेवी मान पूजा करोसेत. सम्राट विक्रमादित्य महाराज, माय हरसिद्धि ला आपरी कुलदेवी मानत होतिन. वेय माता गढ़कालिका रूप को भी उपासक होता. प्रमार राजवंश की राजधानी उज्जैन नगरी मा दुही माता का मंदिर सेती. बाद का पँवार राजा उपेंद्र लक राजा मुंज न मालवा को शासन उज्जैन लक चलाया.

        कोनी ज्ञानी गुरु न राजा भोज ला सांगिस की उज्जैन को एकच राजा से अना वेय राजा, भगवान महाकाल आती. राजा भोज न गुरु को आदेश लक, भगवान महाकाल लक आशीर्वाद लेया अना आपरी राजधानी धार लेय गईन. 

        महाराजा भोज न आपरी माता गढ़कालिका को मंदिर धार मा बनाय देईन अना माय को आशीर्वाद लक, राजा भोज न मालवा को संग आपरो देश ला सुखी अना संपन्न बनाय देईन. राजा भोज को कार्यकाल लक मायगढ़कालिका पँवार वंश की कुलदेवी से. 

        उनका वंशज राजा जगदेव पँवार, माय को अनन्य भक्त होता अना उनको पिरम को खातिर आपरा शीशदान कर दिया होता. माता कंकाली न राजा जगदेव को सात गन राजा को शीश ला जोड़ देई होतिस अना आठवों गन माय न राजा को दान ला स्वीकार कर आपरा चरण मा जागाह देईस. पँवार वंश का राजा माता का अनन्य भक्त होतीन. राजस्थान मा ओशिया की माय सच्चियाय भी परमार वंश की कुलदेवी से. कई पंवार प्रमार वंशीय माय भवानी महामाया ला आपरी कुलदेवी कसेत. माय को रूप अलग से पर से एकच माय अना हर राजपूत को दुसरो दुसरो नाव लक कुलदेवी से. अज का पोवार भी माता का अनन्य भक्त आतिन अना हर रूप की पूजा करोसेत पर धार की माता गढ़कालिका रूप ला आपरी कुलदेवी कसेत अना अनन्य भक्ति भाव लक माता की पूजा करोसेत.


जय माय गढ़कालिका 

✍🏼ऋषि बिसेन 

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2. पोवारी लघुकथा - बडीका मालपोवा

लेखक - गुलाब बिसेन


        आमरी बडी मंजे तेलरांदाकी दिवानी. अना वोकंमाबी कोहरोका मालपोवा मंजे बडीको विक पाॅईंट. बडी ज्याहानबी गावतरला जाय , वहान बडीकी पयली नजर बाळीमाक् मांडोपर ! जेनंघर् मांडोपर कोहरा दिसं वोनंघर् बडीको दिल रम्. आपलो मालपोवाको सवक पुरो करन बडी हरसाल् बाळीमा मांडो डाकायस्यान वाहान कोहरोकी बिजी लगावं. घर् नही रहीत् शेजार बेठारमालक मांगस्यान आन् पर बडी कोहरो लगाव्. सालयी बडीघर् दुय च्यार पिक्या कोहरा फुलमा ठेया रवत. 

        दुय रोज पयलेच बडी रायतोकी बरणी हेळण गयी त् वोला एक कोहरो उंदरान् कतरेव दिसेव. उंदराको कतरेव कोहरो जादारोज टिकनको नही , मुहुन बडीन् इतवार रोज देख मालपोवाको उमाईस. सुट्टिको दिवस रहेलक सबजन घरघ होता. आता कोहरो जराजरा कापस्यान खावून कयीसत् तसोबी नही जम्. मुहुनस्यान बडीन् अर्धो कापिस अना अर्धो सेजार बेठारमा देनसाती ठेयीस.

        चुलोपर सिजतो कोहरो देख बडो कबन बसेव , " अवो , येतरो कोहरोका मालपोवा कोण खाये ? "  " तुमलात् रांधनक् पयलेच खानकी आवसे. कोण खाये मंजे ? आमीच खाबी."  " अवो , पर टुरूपोटुबीत् खानला नही देखत. वूनलात् गुलाब जांबूर आवळसेती मुहुन कयेव."

        " खायेत गुलाब जांबुर समजस्यान !" बडी कवन बसी. बडीको मालपोवा करनको निर्धार देख बडो बडीला अळाय नही सकेव. " उरक सेत् कर." असो कवत बडो आपलं कामला चली गयेव.

    बडीन् हाउसलक तेलुतापर बसस्यान चांगला मोठ् कटोराभर मालपोवा बनाईस. सबन् सकारक् जेवनमा आवळलका खाईन. पर कटोरा काही खाली नही भयेव. कोणी खायस्यानबी केतराक खाये. सबन् खायस्यानबी अर्ध कटोरा बच्याच. सबका जेवन होयेपर बडी बिचारमा पळी. येतरी मेहनतलक बनाया मालपोवा बडी वाया कसी जायदेये ! 

        दुपारी डबामा बच्या मालपोवा धरीस अना आई आमर् घर्. एक हातमा कोहरोकी फाक अना दुसर् हातमा डबा धरस्यान बडी सिदी लायनांग् गयी. अना आईजवर कवन बसी ,  " गरम गरम सेत तबवरी खायटाको." बडीकी आज्ञा होताच आईन् एक प्लेटमा मोला आनदेयीस अना दुय मालपोवा टोंडमा टाकत बाबुजीसाठी डबा फरताळामा ठेयीस. बडीक् जायेक् बाद मिन् मालपोवा खात आईला बिचारेव ,

 " आई , कोणतो सण सेका ? " 

" नही. असो काहे बिचारसेस."

 " नही , बडीन् बिन मोसम बरसात होयेसारखा मालपोवा आण देयीस मनुन बिचारेव."

" बिना सणको तेलरांधा खाये नही पायजे का ?"

आईक् जवाबलक मी आपलो पुस्तकमा टोंड खुपसायस्यान बाचन बसेव.

        संध्याकाळक् पारूगला नहानसुकन काम होतो मुहुन मी बडोघर् गयेव. त् मोला देख बडीन् दुय पलेटमा मालपोवा भरस्यान आणिस. एक मोला देयीस अना एक पलेट बडोला देयीस. 

"आब् कायला आणिस तवो. मंगानिसत् खायाता. छोटुलाच देयुरवतीस." बडो प्लेट धरत बोलन बसेव.

    "बडो , मीन्ंबी खायीसेव मंगानीच.मोलाबी गोळ नही आवळं." मीबी ठोकदेयेव. पर बडी कायला आयकनला जासे भाऊ. बडी आमर्ंपरच भन्नानी " तुमला बजारको खाजो खानला सुख लगसे. अना घरको खाजो खानला का होसे !" बडीको येव अवतार देख बडोना मी पटपट मालपोवा गुपन बस्या.

        आमला लायकीलक मालपोवा खाता देख मंजली वहीनी सपरी झाळता झाळता गालक् गालमा हासन बसी. मंजलीको आमला असो हासनोलक मोला सर्मायेसारखोच लगन बसेव. मीन् कसोतरी पलेटमाका मालपोवा खायेव अना येक्ंबाद कबीच बडीक् हातको तेलरांधा नही खानकी कसम खायस्यान घर् आयेव.

                                                        लेखक :  गुलाब रमेश बिसेन ,

                                              मु. सितेपार , ता. तिरोडा , जि. गोंदिया ४४१९११

                                                               मो. नं. 9404235191

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3. पोवारी लघुकथा - खाजो को थैला

 

        नवतरीको खाजो को थैला धरस्यार तुकाराम पटील जरा लायकीलकच बसस्टापको रस्ता नापत होतो. नव बजेकी बस आवनकी बेरा भय गयीती. दुय मयन्यापासून बेटी - जवाई अना नातुनत्रीको चेहरा नोहतो चोयेव. वोकलक नातुनत्रीला मिलनकी तुकारामला घाई भयीती. आब् मिलुसु का कब् असो वोला भयेतो. एतरोमा धुड्डा उडावत एसटी बस पोहची. बस कचाकच भरी होती. बस मा लक दुय मानुष उत-या. चढने वालोंकी गर्दी होती. कसो बसो थैला संभालकर तुकाराम पटील बस मा चढेव. बस मा पाय ठेवनला बी जागा नोहती. गर्दी रहेव लक कंडक्टर भी तिकीट काहळन पटील जवळ नही आयेव. वु तिकीट की बाट देखतच होतो त अचानक ड्रायव्हर न ब्रेक मारीस अना पटील को तोल बिघळशान सामने जायस्यार पडेव. खाजो को थैला भी हातमालक खाल्या पडेव. कसो तरी पटील न थैला उचलीस.

      बस रुकेवपर दुय साहेब बस मा चड्या. उनन कंडक्टर जवळ लक तिकीट को ट्रे मांगीन अना सब प्रवासी की तिकीट चेक करन लग्या. तिकीट चेक करत करत ओय साहेब तुकाराम पटील जवळ आया अना तिकीट मांगन बस्या. तुकाराम पटील कव्हन बसेव, ”साहेब तिकीट नाहाय. पैसा मोरो हातमाच सेत. पर गर्दी रहेवलक कंडक्टर तिकीटसाठी मोरो जवळ आयेव नही.” साहेब न कहिस, “आमला काही मालुम नही. तुमरो जवळ तिकीट नाहाय. तुम्ही बस को खाल्या उतरो.” तुकाराम पटील घबराय गयेव अना लहानसो तोंड करशान बस को खाल्या उतरेव. चेकींग भयेव पर ओय साहेब भी खाल्या उत-या अना एसटी बस चली गयी. साहेब न पटील ला उनको गाडी बसाईस अना तिरोडा आनीन. पटील उनला कसे, “मोरी काहीच गलती नाहाय. मोला लवकर मोरो बेटी को गांव जान को से.  तुमरो नियमलक जेव दंड होत रहे वु मोरोलक लेव.” एकोपर दुय मा लक एक साहेब समजदार होतो. ओला तुकाराम पटील की हालत देखशान दया आयी. अना बिना दंड लेयेव ओन तुकाराम पटील ला सोळ देईस.

      तुकाराम पटील मन मा सोचन लगेव. येतरी बेरा भय गयी. आता सोनेगाव जानेवाली बस भी नाहाय. आता कसो जावून. मोरा नाती नत्रु मोरी बाट देखत रहेत. एतरोमाच ओको जवाई फटफटी लक तिरोडा को बस स्टँड पर दिसेव. ओन ओला आवाज देईस. ओको जवाई जवळ आयेव. पटील न जवाईला पुरी घटना सांगीस. जवाई संग फटफटी पर बसस्यार तुकाराम पटील सोनेगांव पोहचेव. रात भय गयी होती. बेसकळमा लक ओका नाती धावत आया. आपलो नानाजी जवळलक थैला धरीन अना आपलो माय जवळ आनस्यार देईन. तुकाराम पटील को टुरी न पाय धोवन पाणी आणिस अना ओको अजीन पाय धेयशान खाटपर बस्या. टुरी न थैला खोलशान देखीस त लाळु चुरा होयस्यार चिवळामा मिसर गया होता.

 

                                         ✍इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)

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 4. मेहनत कभी वाया नही जाय

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     अज गणेश को आखरी पेपर होतो मन मा बहुत डर होतो का अवन्दा पहिलो नम्बर नही आयो त मोठी फजीती होय जाए।

    सेवक भी आपलो स्कूल मा हर साल पहिलो नम्बर आवत होतो पर दूय साल पहिले च 8 वी मा दूर गाँव लका बहुत सा गाँव को स्कूल का टुरा यंजया शिकन आया होता। पर आता यन्जया हर गाँव का हुशार टुरा शिकन आया होता अना सबकी पढाई साठी होड़ रवहत होती।

    सेवक को गणित विषय साजरो होतो, हितेश को सब विषय मा बरोबर पकड़ होती पर अंग्रेजी मा दन्दर जात होतो , सन्तोष भी काही कम नोहतो।

    हर गाँव का एक से बढ़कर एक पढ़न्तु टुरा आता एक च स्कूल मा शिकेव लका सबका आपलो नम्बर खिसकन को डर होतो।

    पर सबकी खासियत होती मस्त संग मा प्रेमभाव लका रवहत अना खेलत दर शुकीरवार ला बिना भुलेव सरस्वती पूजा करत होता।

गणेश को मन मा डर बस गयेव का आता या स्कूल त बहुत मोठी से अना टुरा भी बहुत सेती ।

एकच वर्ग की 3 टुकड़ी अना अलग अलग मास्तर शिकावत होता।

गणेश भी आपलो गाँव मा हर साल पहिलो आवत होतो पर ओकी हिम्मत आता खच्चन लगी।

आठवी की परीक्षा भई अना गणेश को 3 रो क्रमांक लगेव हितेश को 2 रो अना सेवक को पहिलो आयो। तिन्ही संगी न शरीयत लगाइतिन की जेको तिसरो नम्बर आये उ पार्टी देये।

गणेश को शक  सही भयो ओला आपलो अभ्यास को अनुभव भयो की केतरो पानी मा सेव्।

तिन्ही संगी पार्टी करिन ना आता नववी कि शरीयत लगी।

सब संग पढ़ती अना घर जायो पर खेलकूद मा व्यस्त रवहति पर गणेश को मन आता खेलनो मा पहलो जसो लगत नोहतो।

गणेश न आपलो पढ़ाई को टाइम टेबल अणखी कड़क करिस।

हर साल को प्रमाणों अवन्दा भी  स्कूल का शालानायक का इलेक्शन भैया पर अवन्दा चमत्कार भयो अना जूनियर कालेज का तीन पद हायस्कूल ला भेटया जेको मा हितेश उपकप्तान बनेव ना गणेश ला उपक्रिड़ा को पद भेटेव।

चारही संगी की दोस्ती पक्की होती सन्तोष को भी हर काम मा मदद करन की आदत होती।

नववी को परिणाम थोड़ो बदलेंव  हितेश को पहलो आयो अना गणेश को दूसरों सेवक को तिसरो।

अवन्दा सेवक की पार्टी को नम्बर बसेव गणेश भी थोड़ो राहत मा होतो पर हितेश की खुशी बहुत झलक रही होती।

सबन मेहनत मा अजुन बढ़ोत्तरी करन को निर्णय लेईन न घर चली गया।

हर साल को हिसाब लका अवन्दा मेट्रिक को साल रहेंव लका सब न जरा मजबूती लका पढ़न की गांठ बांध लेइ तीन।

येन साल जूनियर कालेज का पुरा पद हाय स्कूल को पाला मा आय गया ता।

 पोर को कार्यक्रम अना उनको काम की सबन झलक देख लेइतीन हाईस्कूल की संख्या जास्ती होती पूरा वोट हितेश अना गणेश ला भेटया अना स्कूल कप्तान हितेश बनेव, संस्कृति नायक गणेश बनेव क्रीडानायक सेवक बनेव ।

आता जूनियर कालेज जा टुरा इनको परा बहुत दबाव बनावत होता पर मास्टर इन को ध्यानकर्षन मा या बात आय गई कि ये टुरा सीधा साधा सेती म्हणून उन सबकी साजरिच वर्ग लेईन अना चांगलोच खबर लेईन की आता कोणि त्रास नोकों देओ। 

कालेज का हर कार्यक्रम अवन्दा बहुत हर्षोल्लास लका संपन्न भया मास्तर को मन चार हीन न मिलकर जीत लेइ तीन।

अज गणेश पेपर देय कर आयो परा संगी लका भेटेव चली गयो 

मई को महीना आयो अना रिजल्ट लगन वालो होतो सब स्कूल मा जमा भया होता । गणेश न कहिस की अवन्दा मोरो नम्बर से।

रिजल्ट की कॉपी आई अना रिजल्ट टँगेव उम्मीद प्रमाण लका अवन्दा गणेश को पहिलो, हितेश को दूसरों अना सन्तोष को तिसरो  आयो।

गणेश को मेहनत ला सफलता भेटि अना ओको सम्मान करनो मा आयो उ ओन स्कूल को पहिलो 1st क्लास मा पास होनेवाला मा जमा भयेव ।

गणेश न येन परीक्षा को परिणाम संग तिन्ही बोर्ड की परीक्षा 4थी, 7वी, अना 10वी मा प्रथम आवन को मान पटाइकतीस यको साठी युवा शिक्षण संस्था कन लका ओको सम्मान करनो मा आयो होतो।


गणेश को शिस्त अना कठिन मेहनत लका आपलो उद्देश्य मा सफल भयो होतो।

नियमित अना शिस्त बद्ध मेहनत को फल निश्चित भेट से।

🚩🚩🚩🚩👏🏻👏🏻👏🏻🙏🏻🙏🏻

इंजि. नरेशकुमार गौतम

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5. सत्कर्म की फसल

              परमात्मा न सब मनुष्य ला शरीर रूपी खेत देईसेस अना येको मा अलग अलग प्रकार की फसल को उत्पादन की बात कही सेस व्यक्ति आपरो सोच बुद्धि तर्क ज्ञान लक सत्कर्म की फसल को लाभ समाज ला देय सिकसे सत्कर्म समाज को आधार आय समाज ला नवजीवन रूप मा आनन साठी व्यक्ति ला आपरो कर्म मा सत्य की जरूरत आवश्य से तबच समाज मा सत्कर्म की फसल समाज हित मा उपयोगी साबित होये कर्म जेको साजरो किस्मत वोकी दासी सत गुण अना सत्कर्म जीवन ला येन माया रूपी संसार मा जगा देसेती l


डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४🙏🙏

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6. पोवारी पत्र - माय ला पत्र


                        अ.ब.क.

                        गोवर्धन नगरी

                        कोराडी नागपूर

                       ता.३/३/२०२१

ती.माय

तोला मोरो सादर प्रणाम से.

    बुहू दिवस भया मी गांव नही आय्  सिकेव.भुरू क् लगिनपासून बराब्बर एक मयना भयेव्.फोन करूसू पर बाबुजी संगच् बात होसे.तू आपली काही ना काही काम मां बुडी रव्हसेस.मुहून कयेव् पत्रच लिख टाकुसू.

      आँनलाईनच क्लास सुरू सेत् पर आब् दसवी बारवी का टुरू इस्कूल मं आय गया सेती.मुहून आमरी ड्युटी महातनीबेरापासून लगसे.आब् अकीन एक महिना आवनो मुश्किल से.

      आब् तु त् कटान कोला क् काम मा बुडी रही रहेस.कनार मां चना बाको आयी रये.पर बाबुजीला जागनी करन् साटी जानो पडत रहे.रानमाका मोट्यान् आवसेत पयलेच.तोर बी बाकी भयी रहे.मैटी बाक्की आयी होती.

       पुळं साल देखबीन रबी को.बड्डा पर् बोर मारनो पडे.दुयी फसल होये कसीही.गोडाऊन मां धान मोजकनच नही भया कसेत ना ? टाईम लगे त् चले पर भुसारीला देन् को नही.बोनस बी नही भेट्.अज् पेपरमां सिंदीपार की बातमी छपी होती.काल कलेक्टरला भेटनसाटी गया होता मूहून गावकरी.आब् जल्दी होय जाये मोज.

      बारमास्या को वाफा जगन् दे.

गाय गाबन् रहे ना..? जब् जंदे तब् मी जरूर आऊ.बुऊ दिवसलक् चिक नही भेटेव्.

      करोना को प्रमाण बढ् रही से. बिया तेरवी मां बाबुजीला जावन नोको देऊ.मास्क लगायस्यानच पठावत जा.लाखनी ला जानको पयले मास्क बांधनसाटी सांगत जा.पुलिस बी पकळसेत् खरा.

      काही दिवसमां सिमगा से.पर येन् साल बी सिमगाकाही मनावन को नही असो लगसे.

तब्बेत को खयाला करो.वन् दिवस जो पतंजली दवाई पठायेव् वु खात जाव्.अना पानी गरम करकनच पिनो काही दिवस.सान्वी बी बाकी से.लवकरच आवबीन.

    तोरोच

    रणदीप

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🖊️रणदीप बिसने

मु.सिंदीपार ह.मु.नागपूर

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          7. 🔸 कृपण अना क्षुद्रमना 🔸


    असो देखनो मा आयी से का उचो पड वाला आघिकारी, कर्मचारी सिरिप खुद को भलो कसो होये, बायोडेटा कसो बढे, परमोसन कसो होये यवच देखं सेत. सोचे भी पायजे पर आपलो कर्तव्य आपलो अधिकार लक जादा महत्त्वपुर्ण से यव नही भूले पायजे. दुसरो कोनी आपलो काम इमानदारी लक करत रहे त वोला कंजूस अना narrow minded (क्षूद्रमना) कवन ला आहे पीछे नही देखत. असल मा सर्वप्रथम समाज को भला सोचनो अना बादमा खुद को सोचनेवालो broad minded (उदारमना) होसे. समाज सर्वोपरी, बाद मा मी असो सोचा वालो व्यक्ती उदार. 

    म्हणून असल मा वू उंचो ओहदावालो व्यक्ती क्षुद्रमना आय काहेका वोकी सोच खुदवरीच (स्वार्थ) से. अना असाल मा वु और कृपण (कंजूस) भी से काहेका वू दुसरो को म्हणजे पर्यायलक समाज को बरा मा नही सोचं ना ही काही करं. वू व्यक्ती दूसरो साती कुछ नही करं. समाज मा मुल व्यक्ती तक योजनाओ को सही सही लाभ नही पोहोचन को शायद यव एक कारण रय सिकं से.

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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8. बेटी को मान


    पोवारी समाज मा बेटी को बहुत मान-सम्मान रहव्से।समाज बेटी ला देवी वानी मान देसे।माय बाप जीवन परा बेटी का पाय लग सेती,बेटी आपरा माय-बाप का पाय नई लग्।

       बेटी का भाई,भौजीअन मामा, मामी गिन बी मान लक पाय पड़सेती।कथा, पूजा-पाठ मा नाहानपन की बेटी लक इस्तो बुलावत होतिन अन् वोका पैसा देयखेन पाय लगनो शुभ मानत होतिन। 

        आमरो समाज मा बेटी लाइक वोको बिहा होयो पर मरत वरी वोको माहेर लक साल की दुइ साड़ी अन् खाजा को रिवाज से। 

       पोवार समाज मा बेटा-बेटी मा कोई भेद नई करती, अन् दहेज न टीका मांगन की बी रिवाज नहाय ये दुही बात् आमरो लाई गौरव की सेती।

 

✍🏻बिंदुबिसेन

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9. लघु कथा

शिर्षक:- नवो भारत को नवो इतिहास


        नवो भारत को नवो इतिहास मा भारत देश को असो सार्थि होतो.जो उर्जा अना पुरुषार्थ लका परिपूर्ण मा. पंतप्रधान मोदी होतो.

        ओको कार्यकाल मा २०१९ मा जागतिक माहामारी कोरोना वायरसन् थैमान घाली होतीस.अमेरिका इटली सारखा सुपर पॉवर मेडिकल सुविधा वाला देशन् घुटना टेक देईस.जितन उतन मुर्दा च मुर्दा पडत होता.

        असो हालत मा माननीय मोदी न् पुरो देश की धुरा खंबीर नेतृत्व मा संभालिस ओको कारण भी याहा को गौरवशाली इतिहास,खान पान पासूनका सही तरीका योग अना आयुर्वेद अना या बात खरीच ठरी भारत सारखो विशाल अना अथांग सागर सारखो जन समुदाय को योव कोरोना बाल भी वाकळो नही कर सकेव.

        भारत देश को अन्नच परं ब्रम्ह से म्हणून ओला पूर्ण भोजन कयोव जासे ओकोमा मसाला पूर्ण आयुर्वेद मग बिमारी कसी जवर आये.तसोच भारत देश की पच्चिस फिसदी लोक रोज योग करसेत अना जवरपास बाकी लोग भारत की संजिवनी गिलोय,भारत को अमृत तुलसी भारत को सोनो हलदी रोज सेवन करसेती मंग कसी बिमारी जवर आये.

        कोरोना काल मा यन देश की देश भक्ती भी दिसी डाक्टर,नर्स,सफाई कामगार कोरोना स्वयं सेवक न् कोणतोही मन मा भीती न् ठेवता कोरोना रोगी की सेवा करीन यन कारण लका पूरो देश टिकेव.

        महामारी होती,आत़कवादी समस्या होती,चीन को दादागिरी, घुसखोरी होती यको मा नैसर्गिक संकट न् त् कहरच मचाईस पर पूरो भारत मा सकारात्मक उर्जा अना पुरुषार्थ भावना लका अज भी पूरो देश पूरो शान लका उभो से.

शेषराव येळेकर

दि. ०३/०३/२१

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 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा दि.०३.०३ २०२१ बुधवार ला आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग १ को निकाल


आदरणीय, सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास विचारक व सन्मानित सदस्य ला सादर प्रणाम जी तुमरी पोवारी ज्ञान कौशल युक्त गद्य साहित्य लेखनी लक बहुत सुंदर साहित्य को दर्शन करायात येको साठी सबला बहुत बहुत हार्दिक बधाई अना बहुत बहुत हार्दिक अभिनंदन जी l

🌻🌻🌻🙏🙏🌻🌻🌻

            निकाल

       पयलो क्रमांक


श्री.गुलाब बिसेन

इंजि. गोवर्धन बिसेन

श्री. ऋषि बिसेन

इंजि. नरेशकुमार गौतम

डॉ. प्रह्ललाद हरिणखेडे

श्री. रणदीप बिसने 

सौ. बिंदु बिसेन

शेषराव येळेकर

डॉ.हरगोविंद टेंभरे


नोट:- अगर ग़लती लक कोनी को गद्य लेख छूट गई रहे त वोला बी शामिल करनो मा आये जी l

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       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

        परीक्षक

श्री.व्ही.बी.देशमुख

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