पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा
पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह
द्वारा आयोजित
राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा
काव्यस्पर्धा क्र. 03
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विषय : सावंगणी
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दिवस - इतवार
तारीख - 14/03/2021
✍🏻 काव्यस्पर्धा की बेरा - दुपारी 12 बसे पासुन त रात को 12 बजे वरी रहे।
नियम अना माहिती
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✍🏻कविता मा विषय को उल्लेख जरुरी से.
✍🏻कविता पोवारी भाषा माच् मान्य रहेती.
(टिप- अन्य भाषी कवि जो पोवारी मा नवीन सेती वय लिखान को रुचि लका हिंदी, मराठी मा लिख सक सेती पर ये कविता स्पर्धा मा सामिल करनो मा नही आवन की)
✍🏻कविता, काव्यस्पर्धा को विषय पर च आधारित रहे पायजे.
✍🏻काव्यस्पर्धा को निकाल सप्ताहांत ला जाहिर करेव जाये.
✍🏻काव्यस्पर्धा की कविता येन समुह को अधिकृत ब्लॉग अना वेबसाइट पर अपलोड करनो मा आयेती.
✍🏻सम्मानपत्र अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार
महासंघ लका प्रदान करेव जायेती.
आयोजक
गुलाब बिसेन
पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक
उत्कर्ष समुह
परिक्षक
वरिष्ठ साहित्यिक ऍड. श्री लखनसिंहजी कटरे
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पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित काव्यस्पर्धा
1. सावंगणी
हवा की लहर
छन छनांन जवस
खेतमा संगीत
हवा मा डोलसे जवस
टपोरा दाना भरकन
पांढरी भयी लाखोरी
कनार मा कठाण को
योव किसान जोहरी
सावंगणी करणो से
नहीत् हुड्डा बने खेतको
दावन जुपकन बैईल की
चुरणी करबिन कठाणको
बादल छायी आकाश मा
भेव लगसे पाणी को
जलदी करबिन सावंगणी
जूव्वा आय किसानी को
दिवस रात एक करकन
टुरा सारखा पोस्या
फसल आये हातमा
नहीं दिवस रवनका बस्या
खून को पसिना बनायकन
अज को दिसेव दिवस
आता जीवन मा लक
हट जाये अवस
शेषराव येळेकर
दि १४/०३/२१
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2. विषय - सावंगनी
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बहुत फिकर की बात से
पानी पानी होय रही से,
लाखोरी मोरी सावंगनकी से
कसो करू समझ नही रही से.
दुय खंडी क् रान की लाखोरी
एकदम सावंगनला आय गई.
पानी क् भेवल् जल्दी करनो पडे
नही त् हात की बी ना मूठ की बी गई.
चना बी आता आय रही से
बन्यार धूडनो पडे काटनला,
नही त् चोर इनको का भरोसो
सुस्ती नही करनका चोरनला.
गहू ना जवस बी मंघ मंघ
आय रही से काहाळनला,
कोणतो कोणतो काम करबी
समझमा नही आव आदमीला.
इत मोहू पडतो बी सुरू भयेव
सुदरन नही देती बेचनला,
अशीसे किसान की जिंदगी
फुरसत नही भेंट भेटनला.
- चिरंजीव बिसेन
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3. विषय-कठाणी/सावंगणी
कठाणीच देसे साथ
कठाणीको हंगामला
लावण्य को नवो साज
खेत भयेव हिरवो
सुख समृद्धीको ताज//
तोर, चना,पोपटमा
भर्या मोठा मोठा दाना
मेहनती पसिनाला
नही मारनका ताना//
धान संग गहुलाबी
उंबईको साज तुरा
लसूणको वाफासंग
बाळीमाबी कांदा मुरा//
मांडोपरा खेलसेत
बाल, करोली को बेला
रानमाबी खाट्टो मिठ्ठो
बोर, एरोनी को मेला//
गोंदा, शेवंतीको फुल
खळी पडतो अंदाज
ठंडो गुलाबी हवामा
सृष्टी चोवं घरंदाज//
कोयलकी कुहू-कुहू
बसंतको नवो दान
खेलसेत पशु पक्षी
धुंद भयेव कठाण//
रब्बी हंगामला आयी
असी हिरवी झालर
कठाणीको सिनगार
भयी धरा तालबर//
कठाणीकी भरमार
रत्न भरेव रे हाथ
डुबतोला बारोमास
कठाणीच देसे साथ//
वंदना कटरे "राम-कमल "
गोंदिया
14/03/2021
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4. विषय : सावंगणी/कठाणी
दि: १४.०३.२०२१ (इतवार)
खेतभर अवंदा नवतरिमा
पेरेव सप्पा कठान
चना पोपट उडीद गहू
धनिया मुंग का वान ||१||
अखाडमा तोर तिरमा
घुया अना भेंडी
बिच बिचमा बोरू साती
लगायेव अंबाडी ||२||
संकरात सरी आता
सिवरात्री आयी
ठंडी सरन बसी अना
तपन तेज भयी ||३||
झुरवान को पयले पयले
करून सावंगनी
खऱ्यान मा अलग अलग
रचून सबकी खनी ||४||
खऱ्यान को बिचमा गाडू
मजबूत सो मेढा
आसपास सडकून पयीर
बैलईन को येडा ||५||
परतीको पानी को
लग रही से भेव
मुहून बन्यार संग जल्दी
सावंगनी करेव ||६||
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डॉ. प्रल्हाद हरिनखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
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5. कठानी
पोवारी की शान खेती किसानी,
पेरसेजन खेतीमा खूब कठानी ll
चना की होसे यहाँ खूब कठानी,
संगम पेरसेती संबार यहाँनी ll
गहुँ की उम्बी लहारवसे हवा संग,
मोवरी को खेत को पीवरो रंग ll
धुरो पर आवसे जब तोरला फर,
दाना को आरन बनसे हर घर् ll
लखोरी अना अरसी संगमा पेरो,
जवस को तेल मा सुकुडा खावो ll
उडीद लक से कठानी की शान,
येन दार का बड़ा पोवारी शान ll
तीर का लाडू सेती सबला पसंद,
गांवखारी,बड्डा पर देखो फसल ll
मोरावो नोको कठानी की फसल,
देसे खानला बिरवा खूब फसल ll
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प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
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6. 🌾कठान की सावंगनी🌾
(अभंग काव्यलेखन)
यंदा को साल । खुस से किसान।
चांगलो कठान । भयीसेगा ।।1।।
गहु की उंबई । चना का डाटरा ।
भया रे साजरा । किसानी मा ।।2।।
धानमाच पे-या । जवस लाखोरी ।
संगमा मोवरी । बड्डापर ।।3।।
लगाया सेजन । तोरमाच भेंडी ।
तिर ना अंबाडी । धुरोपर ।।4।।
खेतमाच आमी । बनाया ख-यान ।
चुरन कठान । गोल गोल ।।5।।
देखो बादरमा । होसे पानी पानी ।
करो सांवगनी । जल्दी तुम्ही ।।6।।
धान की फसल । होसे जब नास ।
कठान की आस । किसान ला ।।7।।
मुरावो नोको रे । फसल कठानी ।
बचे जिंदगानी । एकोलक ।।8।।
हात जोडकर । कसे गोवर्धन ।
करो तुमी मान । किसान को ।।9।।
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✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (वडेगांव)
मो. 9422832941
दि. 14 मार्च 2021
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राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा क्र.03
दि.14.03.2021
विषय :- सावंगनी
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निकाल :- 18.03.2021
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उत्तमोत्तम
@डाॅ.प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'
@चिरंजीव बिसेन
@इंजि.गोवर्धन बिसेन
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उत्तमोत्तर
@डाॅ.हरगोविंद चिखलूजी टेंभरे
@वंदना कटरे 'राम-कमल'
@शेषराव वासुदेव येळेकर.
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निरीक्षण
□ मोरो बिचार लका काव्य रचना मा वर्णन दून चिंतन ला अधिक महत्त्व देता आयेव् त् वा रचना बाचनेवालोईनला विचारप्रवृत्त कर् सक् से.
□ येन् बेरा चिंतन-संपृक्त रचना की थोळीसी कमी लग् रही से, पर येन् बारामा पूरो निराश भी नही करत्.
□ गीत अना कविता मा को अंतर को अभ्यास करनो, मोरोसकट सबच् रचनाकारईनला आवश्यकच् रव्ह् से, असो मोरो बिचार से.
□ येन् बेरा की रचना चिंतन को दिशा मा सफल-प्रयासरत लगी, येकोसाती सबला बोहूत बोहूत धन्यवाद अना सबको अभिनंदन!
□ काव्य रचना को बारामा, मोरो बिचार लका, उपदेश करता नही आव्, काहे का हरेक व्यक्ती जनमताच कविता को भोक्ता रव्ह् से असो कसेती. सिरफ् व्यक्ती को अंदर छुपेव् रचनाकारला आपलो बाहेर काहाळस्यार वोकी अभिव्यक्ती कागदपरा करन् साती स्व-प्रयासकीच् जरूरत रव्ह् से. अना असो स्व-प्रयास मा आम्ही सब् सफल अवश्य होबीन् येको मोला बिश्वास से.
□ पुनश्च सबला बोहूत बोहूत धन्यवाद अना सबको अभिनंदन!
@ॲड.लखनसिंह कटरे
बोरकन्हार, जि.गोंदिया.
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