वैनगंगा क्षेत्र के क्षत्रिय पँवार
वैनगंगा क्षेत्र के क्षत्रिय पँवार
गुरु
वशिष्ठ की यज्ञ वेदी से आबूगढ में प्रगट हुआ था पँवार।प्रथम पुरुष प्रमार हुआथाजिसने
किया असुरों का संहार।।
बचाने
धरती को धरा इसने एक हाथ गदा दूजे हाथ तलवार।धरती को पाप मुक्त किया ऐसा हुआ
क्षत्रिय राजवंश पँवार।।
अग्निकुंड
की ज्वाला से प्रगट हुए ये क्षत्रिय अग्निवंशीय पँवार।धधकती वीरता की चिंगारी से
इन्होने धरती को दिया संवार।।
प्रमार
वंशियो ने अपने सत्कर्मों से पृथ्वी को
किया फुलवार।लिखा गया पृथ्वी पंवारों की है और पृथ्वी की शोभा हैं पँवार।।
सम्राट
विक्रमादित्य ने दिया शासन को सुशासन का आकार।उनके अयोध्या पुर्ननिर्माण के साथ ही
कीर्तिवान हुआ पँवार।।
राम
राज्य के स्वप्न को महाराजा भोज देव ने
किया साकार।श्रेष्ठ शासन और शीशदान
के साथ अमर हुए जगदेव पँवार।।
उदियादित्य
की शक्ति और भृतहरि की भक्ति हुयी
साकार।मध्यभारत में प्रसिद्ध हुए नगरधन महाराज लक्ष्मणदेव पँवार।।
मालवा
में पूर्वजों को दुश्मनों ने धोखे से दिए थे दुःख अपार।इन्हीं दुश्मनों से लड़नें
हेतु बुलंद बख्त के साथ हुआ पँवार।।
राजपुताना
के इन वीरों ने नगरधन से दिखाई वीरता
अपार।हिंदुत्व के पुरोधा मराठों को युद्धों में जिताता रहा वीर पँवार।।
अदम्य
साहस एवं वीरता हेतु मिला वैनगंगा क्षेत्र का उपहार।मालवा से नगरधन होकर इधर आया
और बढ़ता रहा पँवार।।
देती
है पानी और उपजाऊ मिट्टी माँ वैनगंगा की पावन धार।आँचल में इसके शस्त्रों का त्याग
कर काश्तकार बने पँवार।।
मालवाधीश
भोजदेव को आदर्श मानता 36 कुल का पोवार।ज्ञान विज्ञान के साथ निरंतर तरक्की करता यह क्षत्रिय
पँवार।।
ऋषि बिसेन, बालाघाट
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