मोरो पोवारीका बोल
🌷मोरो पोवारीका बोल🌷
(अष्टाक्षरी रचना)
बोली छत्तीस कुऱ्याकी
आय आमरी पोवारी |
वैनगंगा को कोऱ्यामा
फली फुलीसे या न्यारी ||१||
मोरो पोवारीका बोल,
जसी बोली कोयलकी |
गुंज सबको कानमा,
खणखण पायलकी ||२||
पसरसे बोलीमालं,
गंध धरनी मायको |
देसे सुगंध मनला,
घीव बखल सायको ||३||
देईसेस समाजनं
मोला पोवारी संस्कार |
बोली लिखके फेड़ून
समाजका उपकार ||४||
करनला समाजमा
रिती रिवाज जतन |
येनं मायबोलीसाती
करो मिलके सृजन ||५||
पोवारीला बचावन
आता करो चुलबुल |
बोलो सपाई पोवारी
हात जोडसे गोकुल ||६||
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✍ इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"
गोंदिया (महाराष्ट्र) मो. ९४२२८३२९४१
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