पोवारी ललकार(Powari Lakar)

 पोवारी ललकार

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ललकार आय पोवारईंकी

ना कोनीला डरावंकी ना धमकावंकी

या ललकार बुद्धी अना चेतनाकी

समाज को नाव ऊचो करनकी......१


तथाकथित दूसरो समाज का धूरी

समजत होता समाज ला कम 

समाजलं निकल्या असा होनहार

चाल पडीसे उनकी नरम..........२


समजत होता हे नांगर बैल वाला

रहेती मंघ ना करेती खेती

किसान आजं, किसानी करबि

विद्यार्जन करके सामनेबी बढबी.........३


उद्यमी, व्यवसायी, प्रगतीशील कास्तकार

डाँक्टर  प्राध्यापक अभियंता मालगुजार

सेती एकसे बढकर एक हीरा

पोवार को डंका बजसे शाम-सबेरा.........४


आता समय से एक होनको

कमजोर घटक ला संग लेनको

तबचं होये समग्र विकास 

माय पोवारीको फैले प्रकाश...........५


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           सतीश पारधी 

दि. ०८/०२/२०२२

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