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डोरा मा आयो पानी

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      डोरा मा आयो पानी ********************** बदल गयो जमानों ; आयो डोरा मा पानी! कलयुग लक होय रही से प्रदूषणकारी हानि। आवश्यकता बढ़ी आविष्कार होसे मनमानी! बड़ी दुखित होय रही से मानव की कहानी। हो -हो लुप्त होत सब ; आवसे डोरा मा पानी:---------   पुरातनता नष्ट होय रही से ; कलयुग को कारण! विनाशकता दिस रही से ; विकराल रुप धारण। संस्कृति संस्कार मिट रही से ; कसो होये निवारण ? हों -हो हाल देख बूरो ; आवसे डोरा मा पानी::---------   खेती बाड़ी का पुराना औजार मिटाय रया सेती! नवीन कृत्रिम साधन लक होय रही से खेती। नांगर बक्खर कोहपर सब नष्ट होय रया सेती! नवीनता ला कह रया सेत सब कोन्ही प्रगति। हों -हो लुप्तता लक आवसे डोरा मा पानी:::--------   देवघर नहीं दिसत ; चवरी टवरी मिट गईं ! गाड़ो बईल जोड़ी की प्रथा चलन हट गई। हर घर घर मा बाईक कार स्कूटी आय गई! घर मा गडर नाली गतिमान होय रही ? हों -हो नहीं दिसत पशू ; आवसे डोरा मा पानी::::--------   माटी को घर मिटकन ; सिंमेट को होय गयो! घर देखो आता कई मंजिल मा बन गयो। प्लास्टिक को प्रचलन को महत्व बढ़ गयो! ढोंमन

असूर दल विरुद्ध माय दुर्गा युद्ध

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  असूर दल विरुद्ध माय दुर्गा युद्ध दुर्गा सप्तशती मा से युद्ध नजारों तेरह अध्याय मा से समाचार सारो:-------- माय भवानी लक लड़ेव दुष्ट महिषासुर ; मारेव गयो महिषासुर रुप पांच बदलकन! भैंसा पुरुष हत्ती नकली शेर होयकन ; अंत मा पतन भयो त्रिशूल प्रहारकन।   शुंभ निशुंभ आया ये महाअसुर बनकन ; ईंन्द्र देव सहित सब देवता ला हरायकन! देवता ईनला स्वर्ग नगरी लक भगायकन ; माय को द्वार गया ; सब देवता बुलावन।   आयी माय कौशिका स्वरुप बदलकन ; सुन्दर सी हिमाचल मा प्रतिज्ञा करकन! शुंभ निशुंभ का दूत चंड मुंड न देखकन ; दिवाना भया शुंभ निशुंभ समाचार सुनकन।   शुंभ निशुंभ का दूत सब गया देवी ला आनन ; पटरानी बनावन को भाव उनमा भयो उत्पन्न! दूत धूम्रलोचन जासे करसे चेष्टा जबरन ; माय को हुंकार लक भष्म होसे धूम्रलोचन।   पुनः जासेत चंड मुंड देवी ला आनन ; चंड मुंड ला मारसे उनकी मुंड काटकन! दूत रक्तबीज जासे छलिया होयकन ; कटकन भी प्रगटसे ; ख़ून लक उत्पन्न ; रक्तबीज ला ; देवी खासे काट निगल कन:-----     बन गई होती तब माय भयानक जगदम्बा! खूब डरावनी लग कारी विकराल अम्बा।