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पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्कर्ष परिवार आयोजित राष्ट्रीय पोवारी चारोली स्पर्धा दि. १७ जुलाई २०२१ (शनिवार)

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राष्ट्रीय पोवारी चारोली स्पर्धा      **************************** पोवारी आस्था को से संगम. पंवारी को वैभव से सिहारपाठ.. बैहर नगरी मा से पंवार तीर्थ. जिला को नाव से बालाघाट.. ✍🏼ऋषि बिसेन  बालाघाट  🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁  सिद्ध पीठ तिर्थस्थल पोवारोंकी धरोहर पंवार राममंदिर सिहारपाठ बैहर *****  पोवारकी शान सिहारपाठ क्षेत्र तीर्थस्थान सिहारपाठ कुलस्वामिनी कुलदेवताको पवित्र वरदान सिहारपाठ --------------------------------- डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी" डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई मो. ९८६९९९३९०७ 🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁  बैहर को सिहारपाठ मा से प्रभु श्रीराम को पावन धाम l आराध्य पोवार समाज का मर्यादा पुरुषोत्तम  प्रभु श्रीराम  ll                    -ओ. सी. पटले 🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🍀 स्थापित सिहारपाठमा श्रीराम  पोवारइनका आराध्य भगवान  भक्ति सबकी  निर्मल निष्काम समाजको मंदिर आय सन्मान .... 〽️ahen 🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁 पुर्वजों की धरोहर  श्रीराम मंदिर बैहर पँवार समाज को वैभव से चिरकाल को गौरव। ✍🏻नरेशकुमार 🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁🚩🍁 बैहर को सिहारपाठ पोवारी को से तीर्थस्थान l विराजित सेती श्र

राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 01

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पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 01 विषय : गणपति दिनांक- 21.2.2021 (इतवार) 1.  मोरो गणपति देवा 🌺🌸🌺🌸🌺🌸 आशीष  मिली से तोला  होवन को प्रथमपूज्य देवा ! नवी  शुरुवात  मा लेषेत तोरो नाम अय मोरो देवा !! गणेश चतुर्थी ला घर मा  तोरो आगमन  होवसे देवा ! जीवन मा होवसे असो  तरंग न उल्लास मोरो देवा  !!   पार्थना करसु  मि देय   समृद्धि सबला मोरो  देवा !   पुरो धरा ला देय हरियाली  अना खुशहाली मोरो देवा !! ✍🏼ऋषि बिसेन  बालाघाट *********************************  2.  🌷 गणेश जन्म 🌷 घडीस मुर्ती पार्वती न,  फुकीस ओकोमा प्राण । जन्म भयेव गणेशको,  लाड़ कर टुरा जान  ॥ आंग धोवन गयी माय,  सांगशान बाल गणेशला। दरवाजा पर गणेश न,  अडाईस देव शंकरला ॥ समजाईस लहान देखशान,  शंकर न ओला खास। अंदर नही जान साठी,  गणेश कर अट्टहास  ॥ युध्द पिता अना पुत्र मा,  भयेव बहुत जोरदार। काटीस मस्तक गणेशको ,  मारीस त्रिशुल धारदार  ॥ देखशान गणेश मस्तकबिना ,  क्रोधीत भयी पार्वती माता । जिवंत टुराला करो नही त,  धरती को नाश करुन आता ॥ शंकर न नंदी अना गण ला,  सांगीस

पोवारी साहित्य एंव सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा

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    पोवारी साहित्य एंव   सांस्कृतिक उत्कर्ष समुह            द्वारा आयोजित       राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा          काव्यस्पर्धा क्र. 03             ^^^^^^^^^^^^^^^^^ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 विषय : सावंगणी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻  दिवस - इतवार   तारीख  - 14/03/2021 ✍🏻 काव्यस्पर्धा की बेरा - दुपारी 12 बसे पासुन त रात को 12 बजे वरी रहे।  नियम अना माहिती    ------------------------- ✍🏻कविता मा विषय को उल्लेख जरुरी से. ✍🏻कविता पोवारी भाषा माच् मान्य रहेती. (टिप- अन्य भाषी कवि जो पोवारी मा नवीन सेती वय लिखान को रुचि लका हिंदी, मराठी मा लिख सक सेती पर ये कविता स्पर्धा मा सामिल करनो मा नही आवन की) ✍🏻कविता, काव्यस्पर्धा को विषय पर च आधारित रहे पायजे. ✍🏻काव्यस्पर्धा को निकाल सप्ताहांत ला जाहिर करेव जाये. ✍🏻काव्यस्पर्धा की कविता येन समुह को अधिकृत ब्लॉग अना वेबसाइट पर अपलोड करनो मा आयेती. ✍🏻सम्मानपत्र अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार  महासंघ लका प्रदान करेव जायेती.                       आयोजक                       गुलाब बिसेन          पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक                  

पोवारी ज्ञान कौशल युक्त गद्य साहित्य लेखन

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 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा दि.०३.०३ २०२१ बुधवार ला आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता -भाग १ ****************************************************************************** 1.  पँवार(पोवार) कुलदेवी धार वाली माय गढ़कालिका           धार वाली माय गढ़कालिका पोवार(पंवार) राजवंश की कुलदेवी से. कोनी माय ला कंकाली कसेत त कोनी माय ला देवी कालिका कसेत. माय काली, दुर्गा माय को काली अवतार, माय को विकराल रूप से अना पापी को अंत निश्चित से. आमी पंवार क्षत्रिय वंश का आजन. हर क्षत्रिय की कुलदेवी होसेत अना माय को विभिन्न रूप की क्षत्रिय कुलदेवी मान पूजा करोसेत. सम्राट विक्रमादित्य महाराज, माय हरसिद्धि ला आपरी कुलदेवी मानत होतिन. वेय माता गढ़कालिका रूप को भी उपासक होता. प्रमार राजवंश की राजधानी उज्जैन नगरी मा दुही माता का मंदिर सेती. बाद का पँवार राजा उपेंद्र लक राजा मुंज न मालवा को शासन उज्जैन लक चलाया.           कोनी ज्ञानी गुरु न राजा भोज ला सांगिस की उज्जैन को एकच राजा से अना वेय राजा, भगवान महाकाल आती. राजा भोज न गुरु को आदेश लक, भगवान महाकाल लक आशीर्वाद लेया अना आपरी राजधानी धार लेय गईन.