पगार

 

पगार

(कविता पोवारी भाषा मा)

 

पगार से तुट पुंजा,हाऊस तोरी कसी फेडू

नाहाय घरमा काजू कतली,खायले मुरा का लाडू

 

खान पिवनकी ईच्छा सोड, घरमा बनाव स्वैपाक

पगार से तुट पूंजो ठेव महागाई को धाक

मन की ईच्छा पूरी करनला खिसा मोरा नोको फाडू

नहाय घरमा काजू कतली खायले मुरा का लाडू

 

पेट्रोल गॅस बडी महगी,का करे पगार

पाच सौ की नोट गायब होसे न लेता डकार

प्यारच से सबदून मोठो, पैसा साती नोको भांडू

नहाय घरमा काजू कतली खायले मुरा का लाडू

 

बडी प्यार मा फली फूली,नही देखीस तपन

साडी चुडी शापिंग येतरोच से तोरो सपन

जसो तसो को संसारला तू बाई नोको मारु झाडू

नहाय घरमा काजू कतली खायले मुरा का लाडू

 

शेषराव येळेकर

दि.०९/१०/२२




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