उज्जैनका पंवार (प्रमार) वंशीय सम्राट विक्रमादित्य

कवि कालिदास कृत 'ज्योतिर्विदाभरणम' येन ग्रंथमा कवि कालिदास उज्जैनका पंवार (प्रमार) वंशीय सम्राट विक्रमादित्य इनको सैन्य को निम्नलिखित वर्णन करसेत् ।


सैन्यवर्णनम्

 

यस्याष्टादशयोजनानि कटके पादातिकोटित्रयं

वाहानामयुतायतं च नवतिस्त्रिघ्ना कृतिर्हस्तिनाम् । 

नौकालक्षचतुष्टयं विजयिनो यस्य प्रयाणे भवत् 

सोऽयं विक्रमभूपतिविजयते नान्यो धरित्रीधरः ॥ १२ ॥ 


सम्राट विक्रमादित्य की सेना १८ योजन (यानी 230 कीलोमीटर) लक फैलीसे । वोकोमा तीन करोड़  पैदल सेना से , अयुतायुत १०००००००० घुड़सवार अना ९० को वर्ग को तीन गुना ( ९ ० ) २ x ३ = ८१०० X ३ = २४३०० हथ्थीसेना , अना चार लाख नौका ( जलसेना ) सम्मिलित से । येन सेना को प्रस्थान मात्र लक  विजय होय जासे । असो विक्रम नामक भूपति (सम्राट)  , जिनको समान अन्य कोणी राजा नाहाय , उनकी सदा जय हो ॥ १२ ॥


अगर या सैन्य संख्या सही मा होती , त् सम्राट विक्रमादित्य सरीखो सम्राट येन दुनिया अजलक नही भयोव । 

सम्राट विक्रमादित्य महान को दूसरों कोणी नही भयव । 

आमरो लाइक गर्व की बात से की आमरो वंश मा असा महान लोग भया । 


इतिहास संकलन 

इंजी. महेन पटले

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