कोयार सा मिठा बोल
कोयार सा मिठा बोल
मोरो माय बोली का
कोयार सा मिठा बोल
नांद गुंजसे मनमा
सूर ताल को माहोल
मोरो पोवारी शब्द को
सार गहण सखोल
ओवी पोवाडा काव्यमा
साधसे अलंकारिक तोल
छंद व्याकरणलक सजीसे
बोली सोपी अनमोल
मिठास भरी से जसो
शहद मिसरी को घोल
पोवारी साहित्य संपदाको
खजाना से बहुमोल
महके सुगंध समान
बजाये प्रगतीको ढोल
अरे पोवार भाई तू
जरा मन ला टटोल
मातृभाषा या पोवारी
सदा मूखमा संभाल
मधुर वाणी को संदेश
देसे पक्षी जसो कोकील
तसो जगमा तू बजाव
माय पोवारी को बिगुल
शारदा चौधरी
भंडारा
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