गजानन स्तुती (पोवारी
🌷गजानन स्तुती (पोवारी)🌷
(नवाक्षरी मनोहारी काव्य)
ग = गण गण गणात बोते
जा = जाहीर गजानन मंत्र |
न = नश्वर शरीरला भेटे
न = नवजीवन रुपी यंत्र ||१||
म = मनमा भजो गजानन
हा = हाण पाड़े संकट दूर |
रा = राग द्वेषला सोड़कर
ज = जगावो प्रेमका अंकूर ||२||
प् = परोपकारी येव गुरू
र = रचसे कयी चमत्कार |
क = कयीक भक्तका संकट
ट = टलाय देसे वू तत्कार ||३||
दि = दिव्य पुरुष गजानन
व = वंदनीय तू दयावान |
स = सदगुरु भक्तवत्सल
की = किरती तोरी से महान ||४||
हा = हासीखुशी ठेव सबला
र् = रममाण कर या सृष्टी |
दि = दिशा देखाव सन्मार्गकी
क = करदे येत्ती कृपादृष्टी ||५||
सु = सुमरुसू मी सदगुरु
भे = भेव दूर करदे मोरो |
च् = चराचरको स्वामी सेस
छा = छायामा रव्हनदे तोरो ||६||
|| अनंत कोटी ब्रम्हाण्ड नायक ||
|| महाराजाधिराज योगीराज ||
|| परब्रम्ह सच्चिँतानंद, भक्त प्रतिपालक ||
|| शेगाँव निवासी, समर्थ सदगुरु ||
|| श्री संत गजानन महाराज की जय ||
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✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"
गोंदिया, संपर्क - ९४२२८३२९४१
दि. २३ फरवरी २०२२
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