महाराजा उदियादित्य पँवार

                                                       महाराजा उदियादित्य पँवार                                                                                                                                                                                        

                     महाराजा भोजदेव के आकस्मिक निधन के बाद मालवा में कुछ समय के लिए संकट के बादल खड़े हो गए थे।  राजा जयसिंह पँवार ने राज्यपाठ तो संभाल लिया पर चालुक्य और कलचुरियों के आक्रमण निरंतर जारी थे। उदयपुर प्रशस्ति लेख के अनुसार प्रमार वंश में नए सूर्य का उदय, महाराजा उदियादित्य पँवार के रूप में हुआ जिसने वापस मालवा के गौरव को लौटाकर धारा नगरी को प्रकाश से भर दिया। नागपुर शिलालेख के अनुसार महाराज भोज के बाद उनके रिश्तेदार महाराज उदियादित्य ने चालुक्य शासक कर्ण के प्रभाव को विफल कर पँवार वंश के गौरव को पुनरस्थापित किया । 

                 जैन मान्यताओं के अनुसार महाराजा उदियादित्य, सम्राट राजा भोज के भाई थे। उन्होंने १०५९ से १०८८ तक मालवा पर शासन किया। उनके पुत्र नरवर्मन देव, लक्ष्मण देव और जगदेव बाद में मालवा और अन्य क्षेत्रों के शासक बने। अपने पूर्वज राजाओं, महाराजा मुंज, महाराजा शीयक, महाराजा भोज की तरह ही वे भी कला और साहित्य के प्रेमी थे और अपने राज्य में शिक्षा पर विशेष बल दिया। उदयपुर (विदिशा) में प्रसिद्ध नीलकंठेश्वर मंदिर का निर्माण(सन १०८०-८१) महाराज उदियादित्य ने करवाया था। यह प्राचीन मंदिर अपने आप में शिल्प कला का अनूठा नमूना है। विदिशा जिले के तहसील गंज बासोदा के निकट उदयपुर मे बने इस मन्दिर में भगवान सूर्य के नामों के अनुरूप मुख्य स्तम्भ घन्टा नुमा बारह राशियों मे विभक्त बारह राशियों साथ ही सत्ताइस नक्षत्रो को पंखुडियो मे दर्शाया गया है ।

                                           द्वारा : पोवार इतिहास, साहित्य एवं उत्कर्ष



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