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पोवारी विवाह गीत

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    पोवारी विवाह गीत   पोवार( छत्तीस कुर पंवार) समाज   में विवाह के समय गाये जाने वाले पारंपरिक पोवारी गीत     १. मंडप सुताई दस्तुर पर गीत बारा डेरी को मान्डो गड़ी से , ॥धृ.॥   मांडो पर मंडाईन ओला बेरू बेरुइनपरबिछाईनजांभूरकीडारी जांभूरकीडारीखाल्याशोभसेआंबाकीतोरन।।१।।   जवाई रामलाल मान्डो सूत से। सूत गोईता जवाई बापु तुमरो सेला घोरऽ से॥ तोरन गोईता जवाई बापू तुमरो कास्टोऽ सुटसे || २ ||   कुकू मा डोइता , सुषमा ओ बाई तुमरीअंगोरीलालभईसे। मांडोमातोरनलगी || ३ || दामाद जब मंडप सूतना प्रारम्भ करता है तब महिलायें यह गाना गाती हैं | पोवारों में १२ डेरी (खंबों) का मंडप शादी में उभारा जाता है। उसपर बांस बिछाकर जामून की टिहनियों से आच्छादित किया जाता है। बाद में दामाद (रामलाल) मंडप के चौफेर धागा गुंथता है और आम की तोरन बांधता है। इस दौरान दामाद का दुप्पटा जमीनपर घोर रहा है और आम की तोरण बांधते बांधते धोती का कास्टा छूट जाता है। इसी कड़ी में दामाद की पत्नी (सुषमाबाई) कुंकू का रंग लगाते लगाते उसकी उंगलियां लाल हो जाती है। इस तरह महिलाऐं हास्य व्यंग गान