एकता की अनूठी मिसाल : क्षत्रिय पोवार ( पंवार ) समाज पोवारी अस्मिता ( पोवारी / पंवारी संस्कृति ) का संरक्षण और संवर्धन तथा देश की एकता और अखंडता मालवा के पंवार ( प्रमार ) वंश का गौरवशाली इतिहास से हम सभी अवगत है पर वहां राजपाट के अस्तित्व संकट के बाद उनके वंशज और नातेदार सैनिक जत्थे के रूप में कई क्षेत्रों में भटकते रहे।उक्त कालावधि में समान विचारधारा के राजाओं का सहयोग अस्त्र शस्त्र और बाहुबल से करते रहे। संभवतया इसी समय से छत्तीस क्षत्रियों का संघ बन गया हो। इन्होंने बुंदेलखंड में राजपूतों की सत्ता में वापसी के लिए मुगलों से लड़ा और उन्हें परास्त कर दिया था। बुलंद बख्त के आह्वान पर यही क्षत्रिय जत्था जिसे आज पोवार या पंवार कहते हैं , नगरधन आया और इस साहसी और बलिष्ठ सेना ने औरंगजेब की शक्तिशाली सेना को परास्त किया। इनकी अटूट एकता इस विजय का कारण बनी और इन्ही क्षत्रियों की एकीकृत पोवार सेना ने मराठों को नागपुर से पूर्वी भारत के कई