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"भोज-पत्र"

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        " भोज-पत्र" क्षत्रिय पंवार/पोवार समाज की सर्वोच्च संस्था , " अखिल भारतीय पंवार क्षत्रिय महासभा" के ७५ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में अमृत-जयंती के शुभ अवसर पर एक स्मरण ग्रंथ , " भोज-पत्र" सन १९८६ में प्रकाशित किया गया था। संपादक मंडल के द्वारा जारी इस पत्र के उद्देश्य की मूल प्रति सलंग्न है –       यह पत्र क्षत्रिय पंवार/पोवार वंश का ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें इस वंश के अतीत से लेकर बीसवीं सदी के समाजोत्थान कार्यक्रम और संगठनों का   इतिहास दिया गया है।                                              तथ्य संकलन : ऋषि बिसेन, नागपुर                               द्वारा : पोवारी इतिहास , साहित्य , संस्कृति एवं उत्कर्ष परिषद  

पंवार/पोवार जाति सुधारणी सभा

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  पोवारो के प्रथम संघटना का उदय काल सन 1905 पंवार / पोवार जाति सुधारणी सभा              उपलब्ध जानकारी से यह ज्ञात होता है कि पोवार जन समुदाय में सामाजिक जन जागरण की सामूहिक प्रक्रिया बीसवीं शताब्दी के पदार्पण के साथ प्रारंभ हुई। इस प्रारंभिक जन आंदोलन के प्रणेता , जन्मदाता के रूप में अग्रणी थे स्वर्गीय श्री चतुर्भुज पंवार , प्रधानाध्यापक , चरेगांव , जिला बालाघाट तथा साथ में कुछ गणमान्य महानुभावों ने सन 1905 मे पंवार जाति की प्रथम सामाजिक संस्था " पंवार जाति सुधारनी सभा " का गठन किया था। पंवार जाति सुधानी सभा का विधान स्व . श्री चतुर्भुज पंवार हेड मास्टर चरेगांव ने तैयार कर प्रथम महासभा में चर्चा हेतु रखा गया था।        सभा का कार्यक्षेत्र भंडारा , बालाघाट तथा सिवनी जिला की जातीय जनसमुदाय तक सीमित था। संगठन का संपूर्ण संचालन महासमिति करती थी। पांचवी आम सभा का आयोजन दिनांक 25 जनवरी 1910 को सिहारपाठ , बैहर की पहाड़ी पर स्व . श्री चतुर्भु