बिह्या का पुरातन पोवारी रीति रिवाज
व्ही, बी,देशमुख रायपुर । "बिह्या का पुरातन रीति रिवाज l" हमारो जाती समाज मा पुरातन समय मा शिक्षा को अभाव होतो।शिक्षा को अभाव मा कुरीति होनो बी स्वाभाविक होतो। बिह्या बर मा होवन वाली कुरीति अना सुरीति हुनको बारो मा, श्रोत लक मोला, जो जानकारी मिली सेत उनको विषय मा लिखन को मन करेव,तुम्हरो सामने राखुसु। " बगन को ढेट्ट " पुरातन समय मा नाहना टुरा टुरी उनको बिह्या कर देवत होतीन।असो बी आयकनो मा आइसे का बच्चा माय को पोट मा रव्हत होतो,तब बी बिह्या जोड़ लेत होतीन।घर अना समाज का सायना एक पक्ष घर बसके बिह्या तय कर लेत होतीन।बिह्या जुड़न को कारन दुहि पक्ष की स्वीकृति को जेवन तुरन्त होत होतो,ओला कव्हत होतीन फलानो घर बिह्या जुड़ गयेव अना बगन को ढेट्ट बी भय गयोव।जल्दी जल्दी मा बगन को साग बनत होतो। " कोदई "को रिवाज होतो,कोदई बी तय कर लेत होतीन।कोदई मा टुरा पक्ष,टुरी पक्ष ला एक बरात को जेवन को अन्न " चाउर दार " देत होतो,चाउर दार देनो ला कोदई देनो कव्हत होतीन।केतरो देनो से ओला वहाँ बस्या सायना तय करत होतीन,एला कोदई कव्हत