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पोवारी संस्कृति और छत्तीस कुल का क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज

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  पोवारी संस्कृति और छत्तीस कुल का क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज   संस्कृति का विकास कोई एक पल का काम नहीं है इसीलिए इसका संरक्षण और संवर्धन बहुत जरुरी होता हैं। संस्कृति का पतन समाज के नैतिक मूल्यों का पतन है और कितनी भी भौतिक समृद्धि आ जाये पर वास्तविक समृद्धि तभी कही जाएगी जब सांस्कृतिक और भौतिक समृद्धि का समुचित समन्वय हो।  ऐतिहासिक पोवारी संस्कृति, जो आज भी हमारे गांव और दिलों में हैं, को समाज के हर व्यक्ति तक पहुँचाना होगा तभी हम आने वाली पीढ़ी को सनातनी पोवारी संस्कृति से परिचित करा पाएंगे।  मालवा राजपुताना से अठाहरवीं सदी के आरम्भ में आये छत्तीस क्षत्रियों में से बालाघाट, भंडारा, सिवनी और गोंदिया जिलों में तीस कुल ही स्थायी रूप बसें और बाकी के छह कुल संभवतया युध्द के बाद वापस चले गए हों। पोवारों उनके कुलों का बहुत महत्व होता है और इनके विवाह पोवारों के अपने कुलों अम्बुले, कटरे, कोल्हे, गौतम, चौहान, चौधरी, जैतवार, ठाकुर/ठाकरे, टेम्भरे, तुरकर/तुरुक, पटले, परिहार, पारधी, पुण्ड/पुंडे, बघेले/बघेल, बिसेन, बोपचे, भगत, भैरम, एडे, भोयर, राणा, राहांगडाले, रिणायत, शरणागत, सहारे, सोनवाने, हनव

राष्ट्रीय पोवारी चारोली स्पर्धा

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पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष परिवार आयोजित राष्ट्रीय पोवारी चारोली स्पर्धा... दि. १४/०८/२०२१ (शनिवार) विषय :-  तिरंगा शीर्षक:-  🌷तिरंगा झेंडा🌷 (एकादशाक्षरी रचना)      पंधरा ऑगस्ट स्वातंत्र्य दिन      आय भारतको राष्ट्रीय सन |      फडकायशान तिरंगा झेंडा      हुतात्माइंला करुसु नमन || ✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया        मो. ९४२२८३२९४१ ******************************* विषय: तिरंगा दिनांक: १४.०८.२०२१ शिर्षक: आजादीकी पयचान ********** मोरो भारत देशको झेंडा तिरंगा महान शान शहिद वीरोंकी आजादीकी पयचान ********** डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी" डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई  मो. ९८६९९९३९०७ *************************** विषय - तिरंगा शिर्षक - भारत को अभिमान (अष्टाक्षरी काव्य)  ======================= तीन रंग को तिरंगा  भारत को अभिमान,  देशसाती से अर्पण  तन, मन, धन, प्राण. . . . . . . . . . . . चिरंजीव बिसेन . . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया ******************************* विषय - तिरंगा फक्त तीन रंग नहोत ये, तीन रंग को ध्वज से, हर भारतीय को दिल मा, तिरंगा को स्वाभिमान से।। कु.क